Dear readers, welcome to a heart-touching collection of Muslim Shayari Hindi. This is not just about poetry, it is about feelings, faith, and connection with Allah. Many people search for words that speak to their soul, and this Islamic Shayari for Muslims does exactly that. It brings out emotions of love, patience, prayer, and hope in a simple yet powerful way. Every line in this shayari carries a message that reminds us of our faith and brings peace to our hearts. In times of joy or sadness, these words give strength and healing.
We know life is full of ups and downs, but through this beautiful Muslim Shayari in Hindi, you will find comfort and closeness to your Creator. We bring you this beautiful collection of Muslim shayari in Hindi language text with care, truth, and deep respect for faith. so, you can feel every word as if it was written just for you. May God bless you.
Table of Contents
ToggleIslamic Shayari in Hindi

यही है इबादत, यही दीन-ओ-ईमाँ
के काम आए दुनिया में इंसान के इंसान
तोड़ने वाले हज़ार बैठे हैं मगर
जोड़ने वाली ज़ात बस अल्लाह अज़्ज़ा-व-जल की है
निशान सजदा सजा कर बहुत ग़ुरूर न कर
वो नीयतों से नतीजे निकाल लेता है
किताब-ए-हक़ की आयत है मुहम्मद रसूल अल्लाह ﷺ
अज़ान की शहादत है मुहम्मद रसूल अल्लाह ﷺ
लबों पे जाम-ए-बरकात है दुरूद और सलाम उन पर
दिलों की नाम-ए-रहमत है मुहम्मद रसूल अल्लाह ﷺ
जिनकी उम्मीद सिर्फ़ अल्लाह से हो
वो कभी ना-उम्मीद नहीं होते
कहा गया अपनी ख़्वाहिशात का ज़िक्र करो
थके हुए वजूद ने कहा बस ख़ाना काबा
उस दिन सारी मोहब्बतें झूठी लगेंगी
जिस दिन सुनोगे: या अल्लाह मेरी उम्मत को बख़्शिश दे
मिट्टी में मिल गए हैं इरादे यज़ीद के
लहरा रहा है आज भी परचम हुसैन का
मुझे तो सुरख़रू होना है आका ﷺ की निगाहों में
ज़माने का है क्या? नासिर, भला जाने बुरा जाने
ख़ुदा ऐसे एहसास का नाम है
रहे सामने और दिखाई न दे
ख़ुदा से मांग जो कुछ मांगना है, आ अकबर
यही वो दर है के ज़िल्लत नहीं सवाल के बाद
मुझको ख़्वाहिश ही ढूंढने की न थी
मुझको खोया रहा ख़ुदा मेरा
मीर बंदों से काम कब निकला?
मांगना है जो कुछ, ख़ुदा से मांग
तेरी बख़्शिश के भरोसे पे ख़ताएं की हैं
तेरी रहमत के सहारे ने गुनहगार किया
आता है दाग़-ए-हसरत-ए-दिल का शुमार याद
मुझसे मेरे गुनाह का हिसाब, ऐ ख़ुदा न मांग
मेरे गुनाह ज़्यादा हैं या तेरी रहमत?
करीम! तू ही बता दे हिसाब कर के मुझे
2 Line Muslim Shayari in Hindi

वो मेरा नहीं है ये बात जानते हुए भी
हर नमाज़ के बाद उसे ही मांगता हूँ दुआओं में।
Woh mera nahi hai yeh baat jaante hue bhi
Har namaz ke baad use hi maangta hoon duaon mein.
दिल की ज़िद थी कोई शिकायत न हो
वरना बहुत कुछ कहना बाकी था तुमसे।
Dil ki zid thi koi shikayat na ho
Warna bahut kuch kehna baaki tha tumse.
पत्थर के लोग रुलाते नहीं, ऐसा वो कहता है
उसे नहीं मालूम चश्मे तो पत्थरों से ही निकलते हैं।
Patthar ke log rulate nahi, aisa woh kehta hai
Use nahi maloom chashme to patharon se hi nikalte hain.
जो रातें गुज़रीं बिन नींद के
तुम पर उन सभी का क़र्ज़ है।
Jo raatein guzrein bin neend ke
Tum par un sabhi ka qarz hai.
पहले अजनबी था, फिर भी अपना लगा
अब जब अपना है, तो अजनबी जैसा महसूस होता है।
Pehle ajnabi tha, phir bhi apna laga
Ab jab apna hai, to ajnabi jaisa mehsoos hota hai.
दीदावरों के होते हुए भी आंखें बेनूर हो गईं
शीशे गिरे तो आईने भी टूट गए।
Deedawaron ke hote hue bhi aankhen benoor ho gayi
Sheeshe gire to aaine bhi toot gaye.
अजीब था वो शख्स जिसने क़यामत ढा दी
मेरी आदत बन गई रात भर जागने की।
Ajeeb tha woh shakhs jisne qayamat dha di
Meri aadat ban gayi raat bhar jaagne ki.
आज खुलकर रो लिए हम दिल से
सब्र की थकावट ले डूबी हमें।
Aaj khulkar ro liye hum dil se
Sabr ki thakawat le doobi humein.
Muslim Shayari In Hindi text 2 lines
गुल, गुच्छे, आफ़ताब, शफ़क़, चाँद, कहकशां
ऐसी कोई भी चीज़ नहीं जिसमें तू न हो
जो चाहिए सो माँगिए अल्लाह से, अमीर
उस दर पे आबरू नहीं जाती सवाल से
गुनाह गिन के मैं क्यों अपने दिल को छोटा करूँ
सुना है तेरे करम का कोई हिसाब नहीं
जहाँ में आकर इधर-उधर देखा
तू ही आया नज़र, जिधर देखा
अल्लाह अगर तौफ़ीक़ न दे इंसान के बस का काम नहीं
फ़ैज़ान-ए-मोहब्बत आम सही, इरफ़ान मोहब्बत आम नहीं
है ग़लत गर गुमान में कुछ नहीं
तुझ सिवा भी जहाँ में कुछ है?
ज़मीन जब भी हुई कर्बला हमारे लिए
तो आसमान से उतरा ख़ुदा हमारे लिए
चल दिए सूए हरम, कूए-बुताँ से मोमिन
जब दिया रंज बुतों ने, तो ख़ुदा याद आया
अच्छा यक़ीन नहीं है तो कश्ती डुबा के देखो
इक तू ही नाख़ुदा नहीं, ज़ालिम ख़ुदा भी है
दाग़ को कौन देने वाला था?
जो दिया, आ ख़ुदा, दिया तू ने
ख़ुद को दुनिया से जब बेज़ार पाओ तू
क़ुरान उठाओ, दिल से लगाओ और रब के हो जाओ
अक़्ल में जो घर गया, ला-इंतिहा क्यों कर हुआ?
जो समा में आ गया, फिर वो ख़ुदा क्यों कर हुआ?
या रब! तेरी रहमत से मायूस नहीं फानी
लेकिन तेरी रहमत की ताख़ीर को क्या कहिए?
तारीफ़ उस ख़ुदा की जिसने जहाँ बनाया
कैसी ज़मीन बनाई, क्या आसमां बनाया
बुतख़ाने से चले हो काबे को
क्या मिलेगा तुम्हें ख़ुदा के सिवा?
तू मेरे सज्दों की लाज रख ले, शऊर-ए-सज्दा नहीं मुझको
ये सर तेरे आस्ताँ से पहले किसी के आगे झुका नहीं है
झोलियाँ सब की भरती जाती हैं
देने वाला नज़र नहीं आता
Muslim Love Shayari

ऐ फिलस्तीन! हम शर्मिंदा हैं
तेरे ज़ख़्मों पे हम रंज़ीदा हैं
नहीं माँगना आता तो सिर्फ़ हाथ फैला दो
वो बंद लबों की बोलियाँ भी सुनता है
नस नस से वाक़िफ़ है, रग रग जानता है
मुझको मुझसे बेहतर मेरा रब जानता है
अल्लाह का शुक्र है, जो हमें रहनुमाई देता है
ग़मों को मोहब्बत में तब्दील करके सुकून लाता है
काश कि मेरे दिल में ख़ुदा की मोहब्बत भर जाए
दुआ ये है कि मेरी रूह उसकी रज़ा से सरफ़राज़ हो जाए
तुम समुंदर की गहराई से पुकारोगे
अल्लाह वहाँ भी तुम्हारी सुनेगा
जो शख़्स जवानी में निकाह कर लेता है
तो शैतान चीख उठता है — “हाए अफ़सोस! उसने मुझसे अपना दीन बचा लिया!”
सब्र का रंग है, ईमान की ताक़त
जो अल्लाह पे यक़ीन रखे, वो हो जाता है कामयाब
तौफ़ीक़ हो तो, हज़ूर की महफ़िल में हूँ
जहाँ मैं जो भी हूँ, बस उसके तुफैल में हूँ
शुक्रिया है तेरा, जो अता है हमें
हर पल, हर लम्हा, तेरी रहनुमाई से हम
वो इश्क़-ए-नमाज़ सिखा मुझको या रब
जिस नमाज़ में सिर्फ़ तू मिले मुझको
चाँदनी रातों में, रहमतों की बातें होती हैं
क़ल्बों को छू लेने वाली, ये मुस्कानें होती हैं
अर्श वाले से रिश्ते
और वास्ते मजबूत हों
नबी ﷺ की ज़ात से, हर दिल को क़रार मिला
उनकी मोहब्बत में, हर ग़म को क़रार मिला
इश्क़-ए-नबी की मस्ती, दिल को जो सुरूर दे
हर एक साँस में, ज़िक्र-ए-हबीब भर दे
दूर क्यों जाऊँ, यहीं जलवा नुमा बैठा है
दिल मेरा अर्श है और उस पे ख़ुदा बैठा है
न था कुछ तो ख़ुदा था, कुछ न होता तो ख़ुदा होता
डुबोया मुझको होने ने, न होता मैं तो क्या होता
Beautiful Islamic Shero Shayari for Muslims

क्या तुम प्रभु के दरबार को नहीं देख रहे हो?
क्या आप दो दोस्तों को अदालत में नहीं देख सकते?
करम ऐ साक़ी-ए-बत्हा ﷺ
नहीं कौनेन में तुम सा
ओ ग़फ़लत की नींद में सोने वाले, ज़रा होश में आ
तेरा बेशकीमती सरमाया लुट रहा है, ज़रा होश में आ
काश उन को भी याद आऊँ मैं जुम्मा की दुआओं में
जो अक्सर मुझ से कहते हैं दुआओं में याद रखना।
मेरी खाली झोली में दुआ के अल्फाज़ डाल दो
क्या पता तुम्हारे होंठ हिलें और मेरी तक़दीर सँवर जाए।
जिन को रब से माँगने की आदत हो
वो कभी भी खाली हाथ नहीं रहते।
दुआओं में सब की खुशियाँ माँग लिया करो
जो दुआ नहीं पढ़ते हैं, उनकी भी तक़दीर सँवार दिया करो।
खूबसूरत रिश्ता है मेरे और खुदा के बीच
ज़्यादा हम माँगते नहीं, कम वो देता नहीं।
हो सकता है हमारे रब ने हमारे लिए समुंदर लिखा हो
और तुम एक क़तरे के लिए ज़िद कर रहे हो।
तुम जन्नत मत मांगो,
बल्कि इस दुनिया में ऐसे काम करो कि जन्नत तुम्हें मांगे।
मेरी मुश्किलों को आसान कोई न कर सका,
जब भी कोई काम आया, तो मेरा रब ही काम आया।
जब ठोकर खाकर भी न गिरो,
तो समझ लो तुम्हारी दुआ ने तुम्हें थाम लिया है।
चार चीज़ों को हमेशा संभालकर रखो —
नमाज़ में दिल को, तन्हाई में सोच को,
महफ़िल में ज़ुबान को और रास्ते में नज़र को।
ख़ुदा को तुम्हारे माथे की सजदे की निशानी नहीं चाहिए,
ए इंसान, बस उसकी मख़लूक़ (उसकी बनाई हुई मخلूक) का ख्याल रखो।
लोग कहते हैं, इस दुनिया में क्या रखा है,
मैं कहता हूँ, इसी दुनिया में जन्नत में जाने का रास्ता रखा है।.
Islamic Shayari Lines to Copy and Paste
एक मौका मुझे भी दे दे सफ़र-ए-मदीना का, ऐ रब-ए-करीम,
मैंने सुना है कि तेरे महबूब का दर देखने को जन्नत भी तरसती है।
वो चमक न चाँद में है न सितारों में, जो मदीने के दिलकश मंज़र में है।
बेज़ुबान पत्थरों को भी ज़ुबान दे दी — इतनी ताक़त मेरे नबी के इशारों में है।
किसी को तख़्त-ए-सल्तनत, किसी को टुकड़े दर-दर के।
ए खुदा तेरी मर्ज़ी है, चाहे जिधर कर दे।
सब्र से रहमतों का इंतज़ार कर,
जो चीज़ तेरे लिए बनी हैं, वो बस तेरे लिए ही हैं।
इंसान का मुक़द्दर उतनी ही बार बदलता है,
जितनी बार वो अल्लाह से दुआ करता है।
माँ के एहसान की तादाद अगर कोई पूछे,
तो कह देना कि बारिश की बूँदें गिन ले।
जब हमारे जीने की वजह अल्लाह होगी,
तब हमारे मायूस होने की कोई वजह नहीं होगी।
जब मैं कहता हूँ या अल्लाह मेरा
जब मैं कहता हूँ या अल्लाह मेरा हाल देख, हुक्म होता है कि अपना नामे आमाल देख।
या रब तेरी शान जलाल है
या रब तेरी शान जलाल है, मेरी मांग रिज़्क़े हलाल है, मेरी आज़ीजी को कबूल कर, मेरी ज़िंदगी का सवाल है।
कि मोहम्मद ﷺ से वफ़ा तू ने
कि मोहम्मद ﷺ से वफ़ा तू ने तो हम तेरे हैं, ये जहाँ चीज़ है क्या लोह-ओ-कलम तेरे हैं।
मेरे बचपन के दिन भी क्या
मेरे बचपन के दिन भी क्या खू़ब थे, बे-नमाज़ी भी था और बे-गुनाही भी।
मिट जाए गुनाहों का तसव्वुर ही
मिट जाए गुनाहों का तसव्वुर ही जहाँ से इकबाल, अगर हो जाए यकीन कि खुदा देख रहा है।
अनमोल बात
अनमोल बात जब रब से बात करने को दिल चाहे तो नमाज़ पढ़ा करो, और जब तुम चाहते हो कि रब तुमसे बात करे तो क़ुरान पढ़ा करो।
Famous Muslim Poet Allama Iqbal Islamic Shayari in Hindi

सबक फिर पढ़ सदाक़त का, अदालत का, शुजाअत का
लिया जाएगा तुझ से काम दुनिया की इमामत का
जिस इल्म की तासीर से ज़न होती है ना-ज़न
कहते हैं उसी इल्म को अर्बाब-ए-नज़र मौत
तेरे इल्म ओ मोहब्बत की नहीं है इंतिहा कोई
नहीं है तुझ से बढ़ कर साज़-ए-फ़ितरत में नवा कोई
और ये अहल-ए-कलीसा का निज़ाम-ए-तालीम
एक साज़िश है फ़क़त दीन ओ मुरव्वत के ख़िलाफ़
अफ़राद के हाथों में है अक़वाम की तक़दीर
हर फ़र्द है मिल्लत के मुक़द्दर का सितारा
ख़ुदा ने आज तक उस क़ौम की हालत नहीं बदली
न हो जिस को ख़याल आप अपनी हालत के बदलने का
हादसा जो अभी पर्दा-ए-अफ़लाक़ में है
अक्स उसका मेरे आईना-ए-अद्राक में है
उस जुनून से तुझे तालीम ने बेगाना किया
जो ये कहता था कि ‘ख़िरद से बहाने न تراश’
इन ग़ुलामों का ये मसलक है कि नाक़िस है किताब
कि सिखाती नहीं मोमिन को ग़ुलामी के तरीक़
उस क़ौम को शमशीर की हाजत नहीं रहती
हो जिस के जवानों की ख़ुदी सूरत-ए-फ़ौलाद
तेरे इश्क़ की इंतिहा चाहता हूँ
मेरी सादगी देख, मैं क्या चाहता हूँ
अपने किरदार पर पर्दा डाल कर इक़बाल
हर शख़्स कह रहा है ज़माना ख़राब है
जफ़ा जो इश्क़ में होती है, वो जफ़ा ही नहीं
सितम न हो तो मोहब्बत में कुछ मज़ा ही नहीं
निशान-ए-सजदा सजा कर बहुत ग़ुरूर न कर
वो नीयतों से नतीजे निकाल लेता है
फ़क़त निगाह से होता है फ़ैसला दिल का
न हो निगाह में शोख़ी तो दिलबरी क्या है
उसे सुबह-ए-अज़ल इंकार की जुरअत हुई क्यों कर
मुझे मालूम क्या वो राज़दां तेरा है या मेरा
झपटना, पलटना, पलट कर झपटना
लहू गर्म रखने का है एक बहाना
Muslim Wedding Card Shayari in Hindi 2 Lines
मेरी दुआओं की ज़ंजीर टूट जाती है
जब कभी तेरा ज़िक्र दरमियान आता है
हम तुझे भूल के खुश रहने लगे थे
पर ये ख़ुशी भी तेरे बग़ैर न हुई
हमें खबर है मोहब्बत के सब फ़सानों की
हमें खबर है मगर दिल को क्या बताएं हम
बिछड़ने वाला अगर चाहे हाल पूछे कभी
तो इतना रो लेना कि जवाब न बने
किसी की याद में दुनिया को छोड़ बैठे थे
हमें तो होश न आया मगर वो मशहूर हो गया
छोड़ गए सब हमें जब वक़्त हमारा आया
हमसफ़र भी अपना साया निकला
दिल की बात लबों पर लाकर अब तक हम दुख सहते हैं
हमने सुना था इस बस्ती में दिलवाले भी रहते हैं
वो मुझसे बिछड़ कर खुश रहता है
मैं खुद से बिछड़ कर जी लेता हूँ
आईना देख के अक्सर ये गुमां होता है
मेरे चेहरे पे तेरे नक़्श पुराने हैं बहुत
कुछ इस अदा से तू ने नज़रअंदाज़ किया
हम फक्र से लोगों को बता भी न सके
तुम्हारी याद में दिल बेक़रार रहता है
हर वक़्त तुम्हारा ही इंतज़ार रहता है
सच्चाई को समझने के लिए
दिल साफ़ होना चाहिए
हम ने सुकून पाया है
ख़ामोश रहने में
नफ़रत से ज़्यादा
ख़ामोशी तकलीफ़ देती है
एहसास की क़ीमत
सिर्फ वही करता है जो ख़ुद तनहा हो
मोहब्बत कभी खत्म नहीं होती
बस छिप जाती है किसी कोने में
यादें बेवफ़ा नहीं होतीं
लोग होते हैं जो बदल जाते हैं
सब कुछ भूल देना आसान नहीं होता
ख़ासकर वो लम्हे जो दिल के क़रीब हों
कभी कभी आँखों में
कहानी छिपी होती ह
Shadi Card Shayari in Hindi for Muslims

दिल से निकालो अपने ग़म
अभी तो सारा जहाँ बाकी है
धोखा दे कर मुस्कराना भी
अब फ़न बन चुका है
हम दुआ करें तो लोग कहते हैं
फ़ालतू बातें मत करो
बहुत खुशकिस्मत होता है वो शख्स
जिसे दिल से चाहने वाला मिल जाए
तन्हाई में अक्सर
यादें चीख चीख कर रुलाती हैं
अब किसी से क्या ग़िला करें
हर कोई दिल दुखाने लगा है
एहसास खत्म हो चुका है
अब लोग दिखा कर भी दुख नहीं देते
सुना है दर्द की कोई ज़बान नहीं होती
फिर भी लोग समझने से क़ासिर हैं
हम ने वो वक़्त भी देखा है
जब हंसने वालों के पीछे आँखें नम थीं
ख़्वाब देखना छोड़ दिया हमने
जब से ख़्वाबों ने रुलाना शुरू किया
बिछड़ना तक़दीर में था
वरना मोहब्बत तो आज भी बे-हद है
दिल में जो है वो लबों पर न आ सका
यही दुख रहा उम्र भर
कुछ बातें कहने से बेहतर है
ख़ामोशी इख़्तियार कर ली जाए
रिश्ते अल्फ़ाज़ के मुहताज नहीं होते
बस दिलों में एहसास होना चाहिए
अब न कोई ख़्वाब है
न ख़्वाबों से उम्मीद बाकी है
किसी की कमी सिर्फ वही महसूस करता है
जिस ने सच्ची मोहब्बत की हो
मोहब्बत कभी रोकती नहीं
यह तो बस रास्ता दिखाती है
वो आँखें भी क्या आँखें
जो बारिश में नम न हों
तक़दीर से शिकवा नहीं
बस दुआ है कि वो खुश रहे
नसीब बदलते देर नहीं लगती
बस यक़ीन होना चाहिए
वक़्त के साथ सब कुछ बदल जाता है
सिवाय यादों के.